गुरुवार, 15 मई 2008

नित नहाने का शुरू जो सिलसिला हो जाएगा

हास्य-गजल
नित नहाने का शुरू जो सिलसिला हो जाएगा
देख लेना एक दिन तू पिलपिला हो जाएगा
धूल-धक्कड़ से सना जूतेनुमा चेहरा तेरा
भूल से भी धो लिया तो गिलगिला हो जाएगा
लेना मत पंगा कभी तू यार थानेदार से
एक मंजिल का बदन चौमंजिला हो जाएगा
इश्क का चक्कर तेरी बीवी को ना मालुम हो
वरना पंडित सिर तेरा खंडित किला हो जाएगा
घौंटकर रिश्वत के घोटालों में तू चारा मिला
बढ़के सर्किल तौंद का पूरा जिला हो जाएगा
पूछता है कॉलेजों में कौन अब टेलेंट को
फेंक डोनेशन फटाफट दाखिला हो जाएगा
भाषणों को मंत्रियों के तू समझ बस चुटकुले
चुटकियों में दूर तेरा हर गिला हो जाएगा
कर न लेना प्यारे नीरव नर्स से यारी कभी
वरना दुश्मन डॉक्टरों का काफिला हो जाएगा।
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६

1 टिप्पणी:

रवि रतलामी ने कहा…

वाह वाह! हर शेर एक दूसरे पर सवा सेर!!

क्या बात है. वाह!