शुक्रवार, 24 जुलाई 2009
आजकल
दोस्तो बहुत दिनों बाद फिर एक गजल के साथ हाजिर हूं
हम नहीं मिलते हमीं से एक अरसा आजकल
रूह में रहने लगा है एक डर-सा आजकल
दर्द के सेहरा में भटके आंख में आकर टिके
आंसुओं को मिल गया है एक घर-सा आजकल
दर्द के पिंजरे में कैदी उम्र का बूढ़ा सूआ
लम्हा-लम्हा जी रहा है इक कहर-सा आजकल
बर्फ के घर जन्म लेकर प्यास से तड़फा किए
जी रहा हूं रेत में गुम इक लहर-सा आजकल
फूल-पत्ती-फल हवाएं साथ अब कुछ भी नहीं
ठूंठ में जिंदा दफन हूं इक शजर-सा आजकल
इस हुनर से जान ले की दूर तक चर्चा न हो
दोस्त मीठा हो गया है अस जहर-सा आजकल
हो जहां साजिश की खेती और फरेबों के मकान
आदमी लगने लगा है उस शहर-सा आजकल।
पं. सुरेश नीरव
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
बुधवार, 22 जुलाई 2009
जय बजरंग बली
भाई राजमणि ने पूरा हनुमान चालीसा ही ब्लॉग पर दे दिया यह इस बात का सबूत है कि हमारा ब्लॉग सचमुच लोकमंगलकारी है। और बजरंगबली की छत्र-छाया में खूब फलेगा-फूलेगा। आज बंबई से एक पुराने मित्र ने अपनी प्रतिक्रया दी है,बहुत अच्छा लगा साथ ही मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे हमारे लिए कुछ लिखें। सतना सो वंदना अवस्थी ने ङी णेरे हालचाल पूछे हैं,मैं उनसे भी कहना चाहूंगा कि वो सुरेशनीरवजीमेलव्लॉगस्पॉटडॉटकॉम पर लोकमंगल से मेरा ब्लॉग जरूर देखा करें। आज मधु चतुर्वेदी ने हनुमानजी की तस्वीर भी पोस्ट की है और अरविंद पथिक की भी पोस्ट है,हंसजी और मकबूलजी भी हाजिर हैं,यानी मामला चकाचक है। सभी को कर्नल विपिन चतुर्वेदी की याद आ रही है,वह कहां है,पूछा जा रहा है,कृपया जल्दी हाजिर हों। चलिए फिर मिलेंगे। अभी सूर्यग्रहण के असर को देखेंगे।जय लोक मंगल..
पं. सुरेश नीरव
भाई राजमणि ने पूरा हनुमान चालीसा ही ब्लॉग पर दे दिया यह इस बात का सबूत है कि हमारा ब्लॉग सचमुच लोकमंगलकारी है। और बजरंगबली की छत्र-छाया में खूब फलेगा-फूलेगा। आज बंबई से एक पुराने मित्र ने अपनी प्रतिक्रया दी है,बहुत अच्छा लगा साथ ही मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे हमारे लिए कुछ लिखें। सतना सो वंदना अवस्थी ने ङी णेरे हालचाल पूछे हैं,मैं उनसे भी कहना चाहूंगा कि वो सुरेशनीरवजीमेलव्लॉगस्पॉटडॉटकॉम पर लोकमंगल से मेरा ब्लॉग जरूर देखा करें। आज मधु चतुर्वेदी ने हनुमानजी की तस्वीर भी पोस्ट की है और अरविंद पथिक की भी पोस्ट है,हंसजी और मकबूलजी भी हाजिर हैं,यानी मामला चकाचक है। सभी को कर्नल विपिन चतुर्वेदी की याद आ रही है,वह कहां है,पूछा जा रहा है,कृपया जल्दी हाजिर हों। चलिए फिर मिलेंगे। अभी सूर्यग्रहण के असर को देखेंगे।जय लोक मंगल..
पं. सुरेश नीरव
मकबूलजी मीनाकुमारी की गजल बेहद दिलरुबां हैं। आपको मुबारकां कहने को जी चाहता है। बजरंग बली पर आजतक किसी ने गजल नहीं कही है मैं कोशिश कर रहा हूं। बाकी बजरंग बली जाने। पेशेखिदमत है,कुछ शेर-
अर्थ हनुमान का जो ना बूझा
तुमने श्रीराम को कहां पूजा
पल में लंका जलाके राख करे
ऐसा बलवान है कहां दूजा
सींच मन की धरा दया-जल से
रेत में खिलता है कहां कूजा
प्रभु हंसते हुए वहीं आए
मंत्र विश्वास का है जहां गूंजा
स्वार्थ का भाव भी जहां सूझा
व्यर्थ सारी हुई वहां पूजा।
पं. सुरेश नीरव
अर्थ हनुमान का जो ना बूझा
तुमने श्रीराम को कहां पूजा
पल में लंका जलाके राख करे
ऐसा बलवान है कहां दूजा
सींच मन की धरा दया-जल से
रेत में खिलता है कहां कूजा
प्रभु हंसते हुए वहीं आए
मंत्र विश्वास का है जहां गूंजा
स्वार्थ का भाव भी जहां सूझा
व्यर्थ सारी हुई वहां पूजा।
पं. सुरेश नीरव
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