मकबूलजी मीनाकुमारी की गजल बेहद दिलरुबां हैं। आपको मुबारकां कहने को जी चाहता है। बजरंग बली पर आजतक किसी ने गजल नहीं कही है मैं कोशिश कर रहा हूं। बाकी बजरंग बली जाने। पेशेखिदमत है,कुछ शेर-
अर्थ हनुमान का जो ना बूझा
तुमने श्रीराम को कहां पूजा
पल में लंका जलाके राख करे
ऐसा बलवान है कहां दूजा
सींच मन की धरा दया-जल से
रेत में खिलता है कहां कूजा
प्रभु हंसते हुए वहीं आए
मंत्र विश्वास का है जहां गूंजा
स्वार्थ का भाव भी जहां सूझा
व्यर्थ सारी हुई वहां पूजा।
पं. सुरेश नीरव
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2 टिप्पणियां:
भाईसाहब,क्या हुआ बजरंग बली नाराज हो गये या गूगल अंकल रिसिया गये? लोकमंगल पर आपके ब्लाग के तालित होने की सूचना है। राम भला करें ब्लागिंग का.....
बहुत सुन्दर.....मगर इतने दिनों तक आप थे कहां? एक साल बाद पोस्ट आई है..
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