गुरुवार, 22 मई 2008

डाकू और कवि

संदर्भः चंबलघाटी कवि सम्मेलन
डाकू और कवि
चंबल के भयंकर डाकुओं ने
यानी स्टेनलेस स्टील के चाकुओं ने
कर दिया मुख्यमंत्री के आगे आत्मसमर्पण
यानी अपनी ही नस्ल के जंतु के आगे अपना तर्पण
प्रश्न ये उठा कि इन्हें क्या सजा दी जाए
किसी ने कहा-
इनसे चक्की चलवाई जाएं
किसी ने कहा-
इनसे भारी-भारी दरियां बुनवाई जाएं
तो हमने कहा-
भैया...
ये आत्समर्पित डाकू हैं
इसलिए न तो इनसे चक्कीयां चलवाई जाएगी
और न ही इनसे भारी-भारी दरियां बुनवाई जाएंगी
इन सब को सजाए बतौर
माइकपकड़ू कवियों की बोर कविताएं सुनवाई जांएगी
डाकू चिल्लाएंगे...
हमें मार डालो या फांसी के फंदे पर लटकाओ
मगर इन बोर कवियों की कविताओं से बचाओ।
पं. सुरेश नीरव
मों.९८१०२४३९६६

कोई टिप्पणी नहीं: