रविवार, 25 मई 2008

सपनों में आ के खो जा


छोड़ बाप का डनलप गद्दा इस खटिया पर सो जा
दाग गरीबी की चादर के आकर सारे धो जा
टूटा-सा जूता मेरा फटा हुआ है मौजा
फिर भी दिल दीवाना कहता बस ती मेरी हो जा
तू रखना उपवास प्रेम से रोजा में रख लूंगा
हूं मुंगेरी लाल मेरे सपनों में आ के खो जा
सरकारी नल-सी आंखों को आकर आज भिगो जा
मेरी टूटी ङुई सुई में धागा कोई पिरो जा
मन के इस सूखे गमले में इश्क की फसलें बो जा
ढूंढ ही लेगी तू भी मुझको जैसे मेंने खो जा
लावारिस उजड़ी मजार पर एक शाम तो रो जा
दूध समझकर तू मथनी से मेरा कफन बिलो जा
नागफनी-सी पलकें तेरी आंखें हैं चिलगोजा
नीरव के पथराए दिल में जो मन करे चुभो जा।

कोई टिप्पणी नहीं: