मंगलवार, 3 जून 2008

आज का इनसान


गजल
सलवटोंवाला बिछौना आज का इनसान
वासना का है खिलोना आज का इनसान
क्यों किसी शैतान की तीखी नजर लगती
हो गया काला डिठोना आज का इनसान
धमनियों में है तपिश चढ़ती जवानी की
ढूंढता है कोई कोना आज का इनसान
ओढ़ली जबसे शरारत बेचकर ईमान
दूर से लगता सलौना आज का इनसान
नाचती है अब सियासत देश में नंगी
है मिनिस्टर-सा घिनौना आज का इनसान
पूरे आदमकद हुए हैं पाप के पुतले
और होगा कितना बौना आज का इनसान
आ गया नीरव चलन में कैसा तिरछापन
हो गया बिल्कुल तिकोनाआज का इनसान।
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६

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