एक कता...
झिड़कना मत झिड़कने में कोई अपना नहीं रहता
तुम्हें वो जड़ से खोदेगा जो मुंह से कुछ नहीं कहता
सभी लोगों से मिलने में उधारी खूब तुम रखना
उधारी का महल कर्जे की तोपों से नहीं ढहता।
पं. सुरेश नीरव
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1 टिप्पणी:
badhiya hai pandit ji
par udharee kahe rakhana.
dhanyawaad.
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