बुधवार, 9 जुलाई 2008

खुदा खैर करे


इश्क में हम हैं गिरफ्तार खुदा खैर करे
डैडी उनके हैं हवलदार खुदा खैर करे
इतनी गरमी पड़ी इस बार खुदा खैर करे
मेढ़की तक पड़ी बीमार खुदा खैर करे
काम होता नहीं आजकल दफ्तर में कहीं
हो गये दिन सभी रविवार खुदा खैर करे
ढ़ूंढने आदमी निकला था जमाने में वफा
वक्त खुद हो गया गद्दार खुदा खैर करे
मेंहरबा मीडिया कुबड़ों पे हुआ है ऐसा
बौनी लगने लगी मीनार खुदा खैर करे
देखते-देखते इस दौर के मेकअप का कमाल
हुस्न लगने लगा खूंखार खुदा खैर करे
शेखचिल्ली न मिला एक भी नीरव-सा यहां
इश्क में खो दिया घर-बार खुदा खैर करे।
पं.सुरेश नीरव

6 टिप्‍पणियां:

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

bhut sundar. badhai ho. likhate rhe.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.

Maqbool ने कहा…

mendhakee tak padee beemar khudaa khair kare.bhai bahut khoob.miyan yaa to ghalib ka thaa yaa fir aapkaa hai andaze-bayan aur.
Allah kare zore-kalam aur ziyadaa.
Maqbool.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

eepकाम होता नहीं दफ़्तरों में,हर दिन हुआ रविवार,खुदा खैर करे....बहुत सुन्दर...इतनी सुन्दर रचना के लिये साधुवाद.

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुन्दर! शानदार! मजेदार!

राकेश 'सोहम' ने कहा…

कल फ़ोन पर आपसे चर्चा के बाद आपके ब्लॉग से रूबरू हो रहा हूँ . खूबसूरत ब्लॉग है और मेरे टेस्ट का भी .
क्या बात है 'मेढ़की तक पड़ी बीमार खुदा खैर करे' हा ..हा ..हा...!!!!
मेरा प्रणाम स्वीकारें ...जहाँ तक नाम बदलनें की बात है तो में ये कहूँगा, परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है . आजकल हर चीज़ नए पैक में उपलब्ध है और बिकती भी है . बधाई .
[] राकेश 'सोऽहं'

anand ने कहा…

श्क में हम हैं गिरफ्तार खुदा खैर करे
डैडी उनके हैं हवलदार खुदा खैर करे |

ye to bahut hi bhayavah isthiti ho gayi.. :-)