श्लोक अधर मंत्र-सी आंखें देवालय-सा तन
रामायण-सा रूप तुम्हारा सांसें वृंदावन
मौलश्री की छांव के नीचे तुम ऐसी दिखती हो
भोजपत्र पर-जैसे कोई वेद-ऋचा लिख दी हो
जब से दरस तुम्हारा पाया हुआ तथागत मन
श्लोक अधर मंत्र-सी आंखें देवालय-सा तन
रामायण-सा रूप तुम्हारा सांसें वृंदावन
भेज दिया है गीत टांककर तुम्हें आज पाती में
अलगोजे की धुन गूंजे ज्यों चंदन की घाटी में
याद तुम्हारी महकी ऐसे ज्यों मंदिर में हवन
श्लोक अधर मंत्र-सी आंखें देवालय-सा तन
रामायण-सा रूप तुम्हारा सांसें वृंदावन
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६
(डा.रूपेशजी, रजनीश के.झा और वरुण राय का प्रतिक्रया हेतु आभार)
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