बुधवार, 11 जून 2008
जवानी का हंसी सपना तुझे जब याद आएगा
हास्य-गज़ल
जवानी का हंसी सपना तुझे जब याद आएगा
सिसककर टूटी खटिया पर पड़ा तू भुनभुनाएगा
पुराना ठरकी है बूढ़ा न हरगिज बाज आएगा
दिखी लड़की तो नकली दांत से सीटी बजाएगा
निकल जाए हमारा दम बला से चार बूंदों में
मग़र हमको हकीम अपनी दवा पूरी पिलाएगा
पहन पाया न बरसों से बिचारा इक नई निक्कर
बनेगा जब भी दूल्हा वो नई अचकन सिलाएगा
है अपना दूधिया जालिम मसीहा है मिलावट का
भले ही कोसते रहिए हमें पानी पिलाएगा
जड़ें काटेगा पीछे से जो हँस के सामने आया
खुदा ने दी न चमचे को वो दुम फिर भी हिलाएगा
मिली हैं हूर जन्नत में मगर मिलती नहीं लैला
खुदेगी कब्र जब तेरी तो चांद अपनी खुजाएगा
सनमखाने में दीवाने सजा ले अपने वीराने
खिला दे टॉफी बुलबुल को मज़ा जन्नत का आएगा
पुराना-सा फटा, मैला लिए हाथों में इक थैला
बढ़ा के अपनी दाढ़ी मंचों पर गजल तू गुनगुनाएगा
मिले मेले में दुनिया के थके, हारे, बुझे चेहरे
करामाती है बस नीरव जो रोतों को हँसाएगा।
पं. सुरेश नीरव
मो.-९८१०२४३९६६
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1 टिप्पणी:
ha ha ha.maja aa gya.
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