हास्य गजल
रिश्ता किसी ने खूब निभाया है प्यार का
तोहफे में उसने भेजा है मच्छर बुखार का
खोया गधा है देखिए फिर से कुम्हार का
शायद मजाक उसने उड़ाया है प्यार का
इक डब्बा खाली भेज के हमको अचार का
यारों ने फार्मूला सिखाया है प्यार का
नामोनिशान मिट गया उसके बुखार का
चूरन कुछ ऐसा हमने चटाया है प्यार का
जब उनका खत पढ़ा हमें मिरगी-सी आ गई
इठला के उसने जूता सुंधाया है प्यार का
इक चॉकलेट खाते ही कर डाली फिक्स डेट
पागल ने कितना रेट घटाया है प्यार का
गन्ने-सा रोज चूस के हमको किया रिजेक्ट
कैसा जनाजा उसने उठाया है प्यार का
नीरव की टूटी खाट भी नीलाम हो गई
जिस दिन से चैक उसने भुनाया है प्यार का।
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें