( डॉ.रूपेश श्रीवास्तव, वरुण राय, रजनीश के.झा, और भाई अबरार अहमद आप-जैसे अदीबों की तारीफ और हौसलाअफजाही के लिए तहेदिल से शुक्रगुजार हूं.. पेश है आप हुनरमंदों के हुजूर में एक और ग़ज़ल..)
जिंदगी जब लगी इक चुभन की तरह
खिल गईं प्राण में तुम सुमन की तरह
सीपिया मन में ऐसी उठी भांवरें
कामना हो गई तब हवन की तरह
यूं तो कहने को जीवन तुम्हारा सही
भावना से सजाया भजन की तरह
खूब गहरा अंधेरा हुआ जब कभी
मिल गईं राह में तुम किरण की तरह
रोज़ चलते रहे हम यही सोचकर
तुम महकती तो होगी चमन की तरह
गुनगुनी याद फिर से पिघलने लगी
कल्पना कांपती बहुवचन की तरह
आ गया जिक्र बातों में जब आपका
झुक गये नैन नीरव नमन की तरह।
पं. सुरेश नीरव
मो. ९८१०२४३९६६
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