पोटेशियम दिन हुए रात सोडियम
देखो फिर भी गीत लिखते हैं हम
किरमिची सन्नाटे थर्राता तम
अणुधर्मी गर्मी में घुटता है दम
घायल है सुबह की नर्म-नर्म एड़ियां
डसती है धरती को युद्धों की बेड़ियां
बारूद सांसों में आज गया जम
देखो फिर भी गीत लिखते हैं हम
कारक है हिंसा युद्ध है करण
हारती है जिंदगी जीतता मरण
गांधी के सपनों की आंख हुई नम
देखो फिर भी गीत लिखते हैं हम
जाएं ना झुलस कहीं प्यार के नमन
कुंठित ना हो जाएं मंत्र और हवन
अट्टहास करता है बहशी-सा यम
देखो फिर भी गीत लिखते हैं हम।
पं. सुरेश नीरव
मों. ९८१०२४३९६६
हारती है जिंदगी जीतता मरण
गांधी के सपनों की आंख हुई नम
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1 टिप्पणी:
great
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