रविवार, 11 मई 2008

दोस्त जीवन में प्यारे वही है सगा
वक्त पड़ते ही फौरन जो दे दे दगा
बाद सोने के तेरे रहे जो जगा
ऐसे महमां को जल्दी तू घर से भगा
भाग जाए न ले के वो कपड़े तेरे
झट से बंदर को जाकर तू छत से भगा
कच्ची इमली सड़क पर उछलने लगी
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
तेरी पॉकेट को काटा कोई गम नहीं
नंग वो हो गया तेरा रुतबा बढ़ा
तेरी चादर थी औरों से ज्यादा सफेद
इसलिए दाग दामन पे तेरे लगा
दोस्त के रूप में केंचुए ही मिले
सिंह साशि के नीरव तू तेवर दिखा।
पं. सुरेश नीरव
मों.९८१०२४३९६६

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